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KSEEB Solutions for Class 7 Physical Education Chapter 10 Necessity of Balanced Nutritious Food and Blanceddiet of Sports Persons in Kannada
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Karnataka State Syllabus Class 7 Physical Education Chapter 10 Necessity of Balanced Nutritious Food and Blanceddiet of Sports Persons in Kannada
KSEEB Solutions for Class 7 Physical Education Chapter 9 Ideal Posture in Kannada
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2nd PUC Hindi Workbook Answers पद्य Chapter 2 सूरदास के पद
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Karnataka 2nd PUC Hindi Workbook Answers पद्य Chapter 2 सूरदास के पद
I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर: दीजिए।
प्रश्न 1.
अपने आपको कौन भाग्यशालिनी समझ रही है?
उत्तर:
गोपिकाएँ अपने आपको भाग्यशालिनी समझ रही है।
प्रश्न 2.
गोपिकाएँ किसे संबोधित करते हुए बातें कर रही है?
उत्तर:
गोपिकाएँ उद्भव से बातें कर रही है।
प्रश्न 3.
श्रीकृष्ण के कान में किस आकार का कुंडल है?
उत्तर:
श्रीकृष्ण के कान में मकराकृत कुंडल है।
प्रश्न 4.
वाणी कहाँ रह गई?
उत्तर:
वाणी मुंख मे ही रह गई।
प्रश्न 5.
कौन अंतर की बात जाननेवाले है?
उत्तर:
कृष्ण अंतर की बात जाननेवाले है।
प्रश्न 6.
श्रीकृष्ण के अनुसार किसने सब माखन रवा लिया?
उत्तर:
श्रीकृष्ण के अनुसार उसके सखा सब माखन खा गए।
प्रश्न 7.
सूरदास किसकी शोभा पर बालि जाते है?
उत्तर:
सूरदास कान्हा को गोदी में उठाए ग्वालिनी के शोभा पर बालि जाते है।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर: लिखिए:
प्रश्न 1.
श्रीकृष्ण के रुप-सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
दूसरे पद में सूरदास कृष्ण के रुपसौंदर्य का वर्णन कर रहे है।
गोपिकाएँ कह रही है जमुना नदी के किनारे कृष्ण को देखा। उन्होने मोर मुकुट पहना है उनके कान के कुंडल मकराकृत है, शरीर पर चंदन है और उन्होने पीला वस्त्र पहना है ऐसे कृष्ण का रूप देखकर आँखोंकी प्यास बुझ गई, आँखे तृप्त हुई। हृदय की आग बुझ गई। प्रेम में पागल गोपिकाओं का हृदय भर आया है, उसके मुख से शब्द नही निकल रहे है। नदी के किनारे खडे कृष्ण से मिलने जा रही नारियाँ लज्जा से गड गई है। सूरदास कह रहै है कृष्ण प्रभु तो अंर्तज्ञानी है। वे इन गोपिकाओं की मनस्थिति को समझ सकते है।
प्रश्न 2.
सूरदास ने माखन चोरी प्रसंग का किस प्रकार वर्णन किया है?
उत्तर:
तीसरे पद में सूरदास गोपिकाओं के समर्पण भाव के बारे में बता रहे है। इसमें हमे यशोदा और ग्वालिनी के वात्सल्य प्रेम के बारे में जान सकते है। चोरी करते हुए कान्हा पकडे गए गोपियाँ कहती है – कान्हा तुम तो दिन-रात हमे सताते हो, आज जाके तुम हमारे हाथ आए हो। जितना भी माखन-दही हो सब खा लेते हो। अब तुम्हारा यह खेल खत्म हआ। मै तुम्हे भलीभाँति जानती हैं।
तुम्हीं माखन चोर हो। कान्हा के हाथ पकडकर ‘माखन जितना चाहे माँग के खाते’ कहने पर बडे ही निगरासतासे कान्हा कहते है ‘तुम्हारी सौगंध, माखन मैनें नहीं खाया मेरे सारे दोस्त ही खा लेते है और मेरा नाम बताते है।’ उसके मुखपर लगा माखन देखा और उसकी प्यारी, तुतलाती बोलों को सुनकर गोपिका के हृदय ममता से भर उठता है। कान्हा का यह रूप उसे इतना लुभावना लगता है कि उसका गुस्सा भाग जाता है और वह कान्हा को गोदी में उठा लेती है। यह दृश्य देखकर सूरदास कहते है ऐसे कान्हा और गोपिका पर तो मैं बलि बलि जाऊँ।
III. संसदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:
प्रश्न 1.
ऊघौ हम आजु भई बड़ – भागी जिन अँखियन तुम स्यांम बिलोके ते अँखियाँ हम लागी। जैसे सुमन बास लै आवत, पवन मधुप अनुरागी। अति आनंद होत है तैसे, अंग-अंग सुख रागी।
उत्तर:
सूरदास पहले पद में गोपिकाएँ और उद्भव के बीच हुए बातचीत के बारे में कह रहे है। गोपिकाँए अपने आपको बहुत भाग्यशालिनी कह रही है। जिन आँखोको शाम को देखने का सौभाग्य मिला जैसे भौरे फूलोसे प्यार करनेवाले। फूलोंकी सुगंध हवा चारों ओर फैलाती है। अंग-अंग खुशी से रोमांचित हुआ है बहुत सुख का अनुभव कर रही है। आजकल दर्पण मे देखना भी बहुत अच्छा लग रहा है प्यार की झलक से चेहरा परम सुंदर दिख रहा है। सुरदास कह रहे है ऐसे कृष्ण हम को भी मिले ताकि हमारे विरह का दुःख भी चला जाएगा। गोपियों की तरह हम भी सुख और आनंद में लहरेगे।
KSEEB Solutions for Class 7 Physical Education Chapter 8 Health Education in Kannada
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Karnataka State Syllabus Class 7 Physical Education Chapter 8 Health Education in Kannada
2nd PUC Hindi Workbook Answers पद्य Chapter 1 सुजान भगत
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Karnataka 2nd PUC Hindi Workbook Answers पद्य Chapter 1 सुजान भगत
I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
रैदास किसकी रट लगाए हुए है?
उत्तर:
रैदास राम नाम की रट लगाए हुए है।
प्रश्न 2.
अंग-अंग में किसकी सुगंध, समा गई है?
उत्तर:
अंग-अंग में चंदनी की सुगंध, समा गई है।
प्रश्न 3.
चकोर पक्षी किसे देखता रहता है?
उत्तर:
चकोर पक्षी चाँद देखता रहता है।
प्रश्न 4.
रैदास अपने-आपको किसका सेवक मानते है?
उत्तर:
रैदास अपने-आपको राम याने अपने स्वामी के सेवक मानते है।
प्रश्न 5.
रैदास किस प्रकार जीवन का निर्वाह करने के लिए कहते है?
उत्तर:
रैदास श्रम कर जीवन का निर्वाह करने के लिए कहते है।
प्रश्न 6.
रैदास के अनुसार कभी क्या निष्फल नही जाता?
उत्तर:
रैदास के अनुसार नेकी से कमाया धन कभी निष्फल नही जाता।
प्रश्न 7.
रैदास किस राज्य की कामना करते है?
उत्तर:
रैदास ऐसे राज्य की कामना करते है जहाँ सबको खाना मिलता हो और जहाँ बडे-छोटे का भेदभाव न हो।
II. निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
प्रश्न 1.
रैदास ने भगवान और भक्त के संबंध को कैसे वर्णित किया है?
उत्तर:
रैदास अपने आपको राम के प्रति समर्पित कर कह रहे है कि प्रभु तुम और मैं अलग कैसे है? हम तो एक दूसरे में समा गए है। जहाँ आप हो वहाँ मैं हूँ। हम तो एक दूसरे में समा गए है। जहाँ आप हो वहाँ मैं हूँ। रामनाम की रट से अब मैं कैसे छुटकारा पाऊँ? हे प्रभु तुम चंदन की तरह हो और मैं पानी। मेरे अंग-अंग में तुम्हारी खुशबू समा गई है। हम दोनों अलग कैसे हो सकते है? प्रभुजी तुम धने जंगल हो और मैं अंगल का मोर हूँ। जंगल को छोड मोर कहाँ जा सकता है? जैसे चकोर पंछी को चाँद लुभाता है वैसे ही तुम मुझे लुभाते हो। हे प्रभु तुम दीपक और मैं बाती हूँ जो दिन-रात जलती रहती है। और तू प्रकाश देता रहता है। हे प्रभु, तुम मेरे स्वामी हो और मैं तुम्हारा दास हूँ रैदास तुमसें इसतरह जुड़ा हुआ है। रैदास तुम्हारा ऐसा भक्त है।
प्रश्न 2.
परिश्रम के महत्व के प्रति रैदास के क्या विचार है?
उत्तर:
परिश्रम का महत्व बताते हुए रैदास कह रहे है सब को परिश्रम कर जीवन यापन करना चाहिए। ना ही कोई आलसी हो न कोई कामचोर। इस जिंदगी से वही पार होगा जिसने श्रम का, मेहनत का महत्व जान लिया हो। परिश्रम में घोखा न हो इसलिए आगे वे कहते है कि नेकी से जो कमाई करोगे तो कुछ भी निष्फल न होगा। इमानदारी बडी चीज है, जीवन में सफलता उसीसे मिलेगी।
III. ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 1.
ऐसा चाहो राज में,
जहाँ मिले सबन को अभ
छोटा-बड़ो सभ सम बसै
रैदास रहे प्रसन्न
उत्तर:
इन पंक्तियों को ‘रैदासबानी’ से लिया गया है।
रैदास इन पक्तियों में एक राज्य के बारे में कह रहे है कि मुझे ऐसे राज्य में रहना है, जहाँ कोई भूखा न रहता हो सबको खाने के लिए अन्न मिलताहो। जहाँ अमीर-गरीब, उँच-नीच का कोई भदभावन हो/सब को जहाँ समान रूप से सम्मान मिलता हो। छोटे-बडे का भेदभाव न हो।
प्रश्न 2.
रैदास श्रम करि खाइहि
जो लौ पार बसाय।
नेक कमाई जड करइ
कबहुँ न निहफल जाय ।।2।।
इन पंक्तियों को रैदासबानी’ से लिया गया है।
उत्तर:
यहाँ परिश्रम का महत्व बताते हुए रैदास कह रहे है सब को परिश्रम कर. जीवन यापन करना चाहिए। ना ही कोई आलसी हो न कोई कामचोर। इस जिंदगी से वही पार होगा जिसने श्रम का, मेहनत का महत्व जान लिया हो। परिश्रम में घोखा न हो इसलिए आगे वे कहते है कि नेकी से जो कमाई करोगे तो कुछ भी निष्फल न होगा। इमानदारी बडी चीज है, जीवन में सफलता उसीसे मिलेगी।
KSEEB Solutions for Class 7 Physical Education Chapter 7 Yoga – The Art of Living in Kannada
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KSEEB Solutions for Class 7 Physical Education Chapter 6 Shotput in Kannada
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KSEEB Solutions for Class 7 Physical Education Chapter 4 Football in Kannada
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