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Karnataka 2nd PUC Hindi Workbook Answers पद्य Chapter 4 बिहारी के दोहे

2nd PUC Hindi Workbook Answers पद्य Chapter 4 बिहारी के दोहे

I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर: दीजिए।

प्रश्न 1.
किस वस्तु को पाकर मनुष्य उन्मत्त होता है?
उत्तर:
सोना और धतुरे को पाकर मनुष्य उन्मत्त होता है।

प्रश्न 2.
भगवान कब प्रसन्न होता है?
उत्तर:
भगवान सच्ची भक्ति से प्रसन्न होता है।

प्रश्न 3.
बाँसुरी किस रंग की है?
उत्तर:
बाँसुरी हरे रंग की है।

2nd PUC Hindi Workbook Answers पद्य Chapter 4 बिहारी के दोहे

प्रश्न 4.
प्रेमी चित्त कब उजला होता है?
उत्तर:
श्याम रंग में डूबकर प्रेमी चित्त उजला होता है।

प्रश्न 5.
वस्तुएँ कब सुन्दर प्रतीत होती है?
उत्तर:
जब मन उनपर आ जाता है, जब मन पसंद करता है वह वस्तु सुन्दर प्रतीत होती है।

प्रश्न 6.
पातक, राजा और रोग किसे दबाते है?
उत्तर:
दुर्बल को राजा, पातक और रोग दबाते है।

प्रश्न 7.
सम्पत्ति रूपी सलिल के बढने क्या क्या परिणाम होता है?
उत्तर:
सम्पत्ति रूपी सलिल के बढने से प्रेम के कमल खिल जाते है।

2nd PUC Hindi Workbook Answers पद्य Chapter 4 बिहारी के दोहे

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर: लिखिए:

प्रश्न 1.
बिहारी ने कनक के संबंध में क्या कहा है?
उत्तर:
बिहारी ने यहाँ पर ‘कनक’ का शब्द का अर्थ दो तरहसे किया है। वे कहते है एक कनक याने धतुरा जिसके प्राशन करने से नशा चढ जाता है, दूसरा अर्थ है ‘सोना’ सोने को देख इन्सान पगला जाता है इसतरह दोनों से, धतुरे से और सोनेसे – मादकता बढ़ जाती है। दोनों को पाकर मनुष्य पगला जाता है।

प्रश्न 2.
संपत्ति रुपी पानी और मन रुपी कमल के संबंध में बिहारी के क्या विचार है?
उत्तर:
बिहारी इस दोहे में प्रेम और भक्ति के बारे में बात करते कह रहे है कि घन रुपी पानी जब तक बढता रहता है तब तक प्रेमरुपी कमल उसमें खिलते रहते है। जैसे-जैसे पानी कम होता है, वैसे
वैसे कमल सूख जाते है, मुरझा जाते है। ठीक वैसे ही प्रेम के घटने से मन परी तरह से मुरझा जाता है, उदास और दुःखी होता है।

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III. संसदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:

प्रश्न 1.
समै-समै सुन्दर सबै, रुप कुरुप न कोई।
मन की रुचि जेती जितै, तित तेती रुचि होई।
उत्तर:
इन पंक्तियों को ‘बिहारी के दोहे’ से लिया गया है। दुनियादारी की बात करते हुए बिहारी कहते है कि इस दुनियामें कोई सुंदर और कुरुप ऐसे नहीं होता। यह तो मन पर निर्भर है कब कौन सुंदर लगे कौन मन को जीते वही सुंदर है, पसंद है। कौन सी वस्तु कब सुंदर दिखे, जिसमें कब रुचि पैदा हो जाए कह नही सकते। यह तो समय समय की बातें हैं।

प्रश्न 2.
अधर-धरत हरि मैं परत, ओठ-डीठि-पट-जोति
हरित बाँस की बाँसुरी, इंद्र धनुष-रंग होति ।।3।।
उत्तर:
इन पंक्तियों को ‘बिहारी के दोहे’ से लिया गया है। बिहारी यहाँ कृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन करते हुए. कह रहे है कि कृष्ण के लाल रंग के होंठ, होठो पर धरी हरे रंग की बाँसुरी, पीली पितांबरी (कपडे) आसमान के नील रंग में दिखाई देनेवाले इंद्रधनुष का आभास दे रही है। इंद्रधनुष के समान चमक रहे है, सुन्दर दिख रहे है।

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