You can Download Chapter 7 भोलाराम का जीव Questions and Answers Pdf, Notes, Summary, 2nd PUC Hindi Textbook Answers, Karnataka State Board Solutions help you to revise complete Syllabus and score more marks in your examinations.
Karnataka 2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav Chapter 7 भोलाराम का जीव
भोलाराम का जीव Questions and Answers, Notes, Summary
I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
स्वर्ग या नरक में निवास स्थान ‘अलॉट’ करनेवाले कौन हैं?
उत्तर:
स्वर्ग या नरक में निवास स्थान ‘अलॉट’ करनेवाले धर्मराज हैं।
प्रश्न 2.
भोलाराम के जीव ने कितने दिनों पहले देह त्यागी?
उत्तर:
भोलाराम के जीव ने पाँच दिन पहले देह त्यागी।
प्रश्न 3.
भोलाराम का जीव किसे चकमा दे गया?
उत्तर:
भोलाराम का जीव यमदूत को चकमा दे गया।
प्रश्न 4.
यमदूत ने सारा ब्रह्माण्ड किसकी खोज में छान डाला?
उत्तर:
यमदूत ने भोलाराम के जीव की खोज में सारा ब्रह्माण्ड छान मारा।
प्रश्न 5.
भोलाराम किस शहर का निवासी था?
उत्तर:
भोलाराम जबलपुर शहर के घमापुर मुहल्लें का निवासी था।
प्रश्न 6.
भोलाराम को पाँच साल से क्या नहीं मिला?
उत्तर:
भोलाराम को पाँच साल से पेंशन नहीं मिली थी।
प्रश्न 7.
नारद जी भोलाराम की पत्नी से विदा लेकर कहाँ पहुँचे?
उत्तर:
नारद जी भोलाराम की पत्नी से विदा लेकर सरकारी दफ्तर में पहुंचे।
प्रश्न 8.
भोलाराम ने दरख्वास्त पर क्या नहीं रखा था?
उत्तर:
भोलाराम ने दरख्वास्त पर वजन नहीं रखा था।
प्रश्न 9.
बड़े साहब के कमरे के बाहर कौन ऊँघ रहा था?
उत्तर:
बड़े साहब के कमरे के बाहर चपरासी ऊँघ रहा था।
प्रश्न 10.
बड़े साहब की लड़की क्या सीखती है?
उत्तर:
बड़े साहब की लड़की गाना-बजाना सीखती है।
प्रश्न 11.
नारद क्या छिनते देख घबराये?
उत्तर:
नारद अपनी वीणा छिनते देख घबराये।
प्रश्न 12.
फ़ाइल में से किसकी आवाज आयी?
उत्तर:
फ़ाइल में से भोलाराम के जीव की/आत्मा की आवाज आयी।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
चित्रगुप्त ने धर्मराज से क्या कहा?
उत्तर:
भोलाराम को मरे आज पाँच दिन हो गए ये लेकिन उसका जीव यमलोक नही पहुँचा था नही उसे लेने गए दूत का कोई पता था। दूत ने जब वापस आकर भोलाराम के जीव ने चकमा देने की बात की तो धर्मराज ने नही माना। तब चित्रगुप्त ने कहा कि पृथ्वी पर इसप्रकार का व्यापार चलता है। लोग दोस्तों को फल भेजते है तो रास्ते में ही रेल्वेवाले उडा लेते है। हौजरी के पार्सलों की चीजें रेल्वे अफसर पहनते है। मालगाड़ी के डिब्बे के डिब्बे रास्ते में कट जाते है। राजनैतिक दलों के नेता विरोधी नेता को उडाकर कहीं बन्द कर देते है। ऐसे ही भोलाराम के जीव को भी किसी विरोधी ने और खराबी करने उड़ा दिया हो।
प्रश्न 2.
यमदूत ने हाथ जोड़कर चित्रगुप्त से क्या विनती की?
उत्तर:
धर्मराज और चित्रगुप्त के सामने एक गंभीर समस्या आ गयी थी। ऐसा कभी नहीं हुआ था। भोलाराम नामक व्यक्ति के जीव ने पाँच दिन पहले देह त्यागी और यमदूत के साथ यम लोक के लिए रवाना भी हुआ पर बीच रास्ते में उसे चकमा देकर गायब हो गया। इतने में एक बदहवास यमदूत वहाँ आकर हाथ जोड़कर बोला – “दयानिधान, मैं कैसे बतलाऊँ कि क्या हो गया। आज तक मैंने धोखा नहीं खाया था, पर भोलाराम का जीव मुझे चकमा दे गया। पाँच दिन पहले ही उसे पकड़ नगर के बाहर ज्यों ही मैं उसे लेकर एक तीव्र वायु-तरंग पर इस लोक के लिए सवार हुआ, त्यों ही वह मेरी चंगुल से छूटकर न जाने कहाँ गायब हो गया। इन पाँच दिनों में मैंने सारा ब्रह्मांड छान डाला, पर उसका कहीं पता न चला।’
प्रश्न 3.
नरक में निवास स्थान की समस्या कैसे हल हुई?
उत्तर:
नरक में पिछले सालों में बड़े गुणी कारीगर आ गये। कई इमारतों के ठेकेदार थे। उन्होंने पैसे लेकर रद्दी इमारतें बनायी थी। बड़े-बड़े इंजीनियरों ने ठेकेदारों से मिलकर पंचवर्षीय योजनाओं का पैसा खाया था। ओवर-सीयरों ने मजदूरों की हाजिरी भरकर पैसा हड़पा था। इन्होंने बहुत जल्दी नरक में कई इमारतें तान दी। इस प्रकार नरक में निवास स्थान की समस्या हल हो गई।
प्रश्न 4.
भोलाराम का परिचय दीजिए।
उत्तर:
भोलाराम धर्मापुर मुहले में नाले के किनारे एकडेढ कमरे के टूटे पूटे मकान में अपने परिवार, के साथ रहता था एक स्त्री और दो लडके। लड़की के भोलाराम एक गरीब आदमी था। पाँच साल हुए रिटायर हुआ था पर पेन्शन अभी तक नही मिल रही थी। हर दस-पन्द्रह दिन में वह एक दरस्वास्त देता पर दफ्तर के लोगों को खुश करने के लिए उसके पास कुछ नही था इसलिए उसे हर बार यही जवाब मिलता कि उसके पेन्शन के मामले पर विचार हो रहा है। सब कुछ बेचने के बाद गरीबी में भूखे मरते-मरते उसने दम तोड़ दिया था।
प्रश्न 5.
भोलाराम की पत्नी ने नारद से भोलाराम के संबंध में क्या कहा?
उत्तर:
भोलाराम की पत्नी ने नारद से कहा की भोलाराम को “गरीबी की बीमारी थी। पाँच साल हो गये पर पेंशन अभी तक नहीं मिली थी। दरख्वास्त देने पर भी पेंशन नहीं मिली थी। इन दिनों गहने बेंचकर गुजारा कर रहे हैं। बरतन तक बिक गए। खाने के फ़ाके पड़ रहे हैं। चिंता में घुलते-घुलते और भूखे मरते-मरते उन्होंने दम तोड़ दिया था।
प्रश्न 6.
भोलाराम की पत्नी ने नारद से क्या विनती की?
उत्तर:
भोलाराम जबलपुर शहर के घमापुर मुहल्ले में नाले के किनारे टूटे-फूटे मकान में पत्नी, दो लड़के और एक लड़की के साथ रहता था। वह सरकारी नौकर था। पाँच साल पहले रिटायर हो गया था। पेंशन नहीं मिला। हर दस-पंद्रह दिन में एक दरख्वास्त देता लेकिन अभी तक पेंशन नहीं मिला था। चिन्ता में घुलते-घुलते और भूखे मरते-मरते उन्होंने दम तोड़ दिया। जब नारद जी भोलाराम के जीव को ढूँढते उस घर तक पहुंचे और उसकी पत्नी से सब कहानी जान गये तो अंत में उसकी पत्नी ने नारद से एक विनती की – “महाराज, आप तो साधु हैं, सिद्ध पुरुष हैं। क्या आप कुछ ऐसा नहीं कर सकते कि उनकी रूकी हुई पेंशन मिल जाये। इन बच्चों का पेट कुछ दिन भर जाए।”
प्रश्न 7.
बड़े साहब ने नारद से दफ्तरों के रीति-रिवाज़ के बारे में क्या कहा?
उत्तर:
बड़े साहब ने नारद से दफ्तरों के रीति-रिवाज के बारे में बताते हुए कहा कि “आप हैं बैरागी। भाई, यह भी एक मन्दिर है। यहाँ भी दान-पुण्य करना पड़ता है। भोलाराम की दरख्वास्तें उड़ रही हैं, भोलाराम ने अपनी फाइल पर वज़न नहीं रखा, उन पर वज़न रखिए।’ सरकारी पैसे का मामला है। पेंशन का केस बीसों दफ्तरों में जाता है। देर लग जाती है। बीसों बार एक ही बात को बीस जगह लिखना पड़ता है, तब पक्की होती है। जितनी पेंशन मिलती है, उतनी ही स्टेशनरी लग जाती है।
प्रश्न 8.
नारद आखिर भोलाराम का पता कैसे लगाते हैं?
उत्तर:
बड़े साहब के सामने नारद ने वजन के रूप में अपनी वीणा रख दी। बड़े साहब ने फाइल मंगवाई। उन्होंने नाम पूछा, तो नारद ने साहब को बहरा समझकर जोर से कहा – ‘भोलाराम!’ सहसा फाइल से आवाज आई – “कौन पुकार रहा है मुझे? पोस्टमैन है क्या? पेंशन का ऑर्डर आ गया?” नारद को बात समझ में आ गई। बोले – “भोलाराम! तुम क्या भोलाराम के जीव हो?” आवाज आयी – “हाँ!”
III. निम्नलिखित वाक्य किसने किससे कहे?
प्रश्न 1.
‘महाराज, रिकार्ड सब ठीक है।’
उत्तर:
यह वाक्य चित्रगुप्त ने धर्मराज से कहा।
प्रश्न 2.
‘भोलाराम का जीव कहाँ है?’
उत्तर:
यह प्रश्न चित्रगुप्त ने यमदूत से पूछा।
प्रश्न 3.
‘महाराज, मेरी सावधानी में बिलकुल कसर नहीं थी।
उत्तर:
यह वाक्य यमदूत ने धर्मराज से कहा।
प्रश्न 4.
‘क्यों धर्मराज, कैसे चिन्तित बैठे हैं?’
उत्तर:
यह प्रश्न नारद मुनि ने धर्मराज से पूछा।
प्रश्न 5.
‘इनकम होती तो टैक्स होता। भुखमरा था।’
उत्तर:
यह वाक्य चित्रगुप्त ने नारद से कहा।
प्रश्न 6.
‘मुझे भिक्षा नहीं चाहिए, मुझे भोलाराम के बारे में कुछ पूछ-ताछ करनी है।’
उत्तर:
यह वाक्य नारद ने भोलाराम की बेटी से कहा।
प्रश्न 7.
‘गरीबी की बीमारी थी।
उत्तर:
यह वाक्य भोलाराम की पत्नी ने नारद से कहा।
प्रश्न 8.
‘आप साधु हैं, आपको दुनियादारी समझ में नहीं आती।’
उत्तर:
यह वाक्य सरकारी दफ्तर के बावू ने नारद से कहा।
IV. ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए :
प्रश्न 1.
‘पर ऐसा कभी नहीं हुआ था।’
उत्तर:
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘भोलाराम का जीव’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक हरिशंकर परसाई हैं।
संदर्भ : धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों का स्वर्ग या नरक में निवास-स्थान ‘अलॉट’ करते आ रहे थे। पर ऐसा कभी नहीं हुआ था की कोई जीव यमदूत को चकमा देकर अदृश्य हुआ।
स्पष्टीकरण : धर्मराज के सामने एक विकट समस्या आ खड़ी हुई। इससे पहले यमलोक में ऐसा कभी नहीं हुआ था। धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफारिश के आधार पर स्वर्ग या नरक में निवास स्थान ‘अलॉट’ करते आ रहे थे। एक बार भी ऐसा नहीं हुआ था। चित्रगुप्त ने रजिस्टर पर रजिस्टर देख कर बताया – महाराज, रिकार्ड सब ठीक है। भोलाराम के जीव ने पाँच दिन पहले देह त्यागी और यमदूत के साथ इस लोक के लिए रवाना भी हुआ पर यहाँ अभी तक नहीं पहुंचा। वह यमदूत भी लापता है। असल में भोलाराम का जीव यमदूत को चकमा देकर गायब हो गया था।
प्रश्न 2.
‘आज तक मैंने धोखा नहीं खाया था, पर भोलाराम का जीव मुझे चकमा दे गया।’
उत्तर:
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘भोलाराम का जीव’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक हरिशंकर परसाई हैं।
संदर्भ : भोलाराम के जीव के बारे में चित्रगुप्त ने यमदूत से पूछा। तब यह वाक्य यमदूत ने धर्मराज से कहा।
स्पष्टीकरण : जब धर्मराज और चित्रगुप्त दोनों भोलाराम के जीव के न आने के बारे में चर्चा कर रहे थे तथा यमदूत के लापता होने की बात कर रहे थे, तब यमदूत वहाँ पहुँच जाता है। यमदूत का कुरुप चेहरा परिश्रम, परेशानी और भय के कारण और भी विकृत हो गया था। यमदूत को देखकर चित्रगुप्त चिल्ला उठे – ‘इतने दिन तुम कहाँ रहे? भोलाराम का जीव कहाँ है?’ तब यमदूत ने कहा कि, दयानिधान! आज तक मैंने धोखा नहीं खाया था पर भोलाराम का जीव मुझे चकमा दे गया।
प्रश्न 3.
‘इन पाँच दिनों में मैंने सारा ब्रह्माण्ड छान डाला, पर उसका कहीं पता नहीं चला।’
उत्तर:
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘भोलाराम का जीव’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक हरिशंकर परसाई हैं।
संदर्भ : चित्रगुप्त ने यमदूत से भोलाराम के बारे में पूछा तो यमदूत ने भोलाराम के गायब होने की बात बताते हुए यह वाक्य कहा।
स्पष्टीकरण : जब चित्रगुप्त ने यमदूत से भोलाराम के बारे में पूछा, तब यमदूत भोलाराम की गायब होने की बात बताते हुए कहते है कि पाँच दिनों में उन्होंने सारा ब्रह्मांड छान डाला, पर भोलाराम का कहीं पता नहीं चला।
प्रश्न 4.
‘चिन्ता में घुलते-घुलते और भूखे मरते-मरते उन्होंने दम तोड़ दिया।’
उत्तर:
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘भोलाराम का जीव’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक हरिशंकर परसाई हैं।
संदर्भ : नारद भोलाराम के घर पहुँचकर उसकी पत्नी से भोलाराम की बीमारी के बारे में पूछता है। तब इस वाक्य को भोलाराम की पत्नी नारद से अपने पति के बारे में कहती है।
स्पष्टीकरण : भोलाराम की मृत्यु के पाँच दिन बाद भी भोलाराम का जीव धर्मराज के सामने उपस्थित नहीं हुआ। उसे लाने के लिए गए यमदूत ने बताया कि वह उसे चकमा देकर न जाने कहाँ गायब हो गया। आखिर नारद उसे ढूँढते हुए भूलोक पहुंचते हैं। नारद ने चित्रगुप्त से उसका पता लिया और जबलपुर के घमापुर मोहल्ले में नाले के किनारे एक टूटे-फूटे मकान के पास आकर आवाज लगाई “नारायण! नारायण!” लड़की ने देखकर कहा – “आगे जाओ महाराज।’ नारद ने कहा कि भोलाराम के बारे में पूछताछ करनी है। अपनी माँ को बाहर भेज दो। नारद के पूछने पर कि उसको क्या बीमारी थी? जवाब में भोलाराम की पत्नी कहती है- “गरीबी की बीमारी थी। पाँच साल हो गए, पेंशन पर बैठे। पर पेंशन नहीं मिली। दरख्वास्त पर दरख्वास्त देते रहे लेकिन कोई फायदा नहीं। इन पाँच सालों में गहने, बर्तन सब बिक गए। चिंता में घुलते-घुलते और भूखे मरते-मरते उन्होंने दम तोड़ दिया।’
प्रश्न 5.
‘साधु-सन्तों की वीणा से तो और अच्छे स्वर निकलते हैं।’
उत्तर:
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘भोलाराम का जीव’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक हरिशंकर परसाई हैं।
संदर्भ : सरकारी दफ्तर के बड़े साहब ने इस वाक्य को समझाते हुए नारद जी से कहा।
स्पष्टीकरण : नारद जी भोलाराम के जीव को ढूँढते हुए पृथ्वी पर आए। भोलाराम की पत्नी से . सारी कथा सुनकर उसकी रुकी हुई पेंशन दिलाने का प्रयत्न करने का आश्वासन देते हुए सरकारी दफ़्तर में पहुंचे। एक बाबू साहब से पता चला कि भोलाराम ने दरख्वास्तें तो भेजी थीं, पर उन पर वज़न नहीं रखा था, इसलिए कहीं उड़ गयी होंगी। आखिर बड़े साहब से भी यही उत्तर मिलता है तो नारद वजन का अर्थ समझ नहीं पाये। बड़े साहब नारद जी को समझाते हए कहते हैं कि जैसे आपकी यह सुंदर वीणा है, इसका भी वज़न भोलाराम की दरख्वास्त पर रखा जा सकता है। मेरी लड़की गाना-बजाना सीख रही है। यह मैं उसे दे दूंगा। साधु-संतों की वीणा से तो और अच्छे स्वर निकलते हैं। तब कहीं नारद समझ पाये।
प्रश्न 6.
पेंशन का ऑर्डर आ गया?’
उत्तर:
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘भोलाराम का जीव’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक हरिशंकर परसाई हैं।
संदर्भ : इस प्रश्न भोलाराम का जीव फाइल में से पूछता है।
स्पष्टीकरण : भोलाराम एक सरकारी कर्मचारी था। पाँच वर्ष पहले रिटायर हो गया था लेकिन अभी तक पेंशन नहीं मिली थी। परिवार निभाना मुश्किल हो गया। अंत में वह मर जाता है। उसके जीव को लेकर जब यमदूत यमलोक आ रहा था, तो भोलाराम का जीव उसे चकमा देकर लापता हो गया। उस जीव को ढूँढते हुए नारद भू लोक आते हैं। सरकारी दफ्तर में बड़े साहब को ‘वजन’ के रूप में अपनी वीणा देकर उसकी फाइल माँगते हैं और पेंशन का ऑर्डर निकालने के लिए कहते हैं, तब फाइल में से भोलाराम का जीव चीख उठता है – पोस्ट मैंन है क्या? पेंशन का आर्डर आ गया?
V. वाक्य शुद्ध कीजिए :
प्रश्न 1.
ऐसा कभी नहीं हुई थी।
उत्तर:
ऐसा कभी नहीं हुआ था।
प्रश्न 2.
परेशानी और भय के कारण उसका चेहरा विकृत हो गई थी।
उत्तर:
परेशानी और भय के कारण उसका चेहरा विकृत हो गया था।
प्रश्न 3.
आज तक मैं धोखा नहीं खाया।
उत्तर:
आज तक मैंने धोखा नहीं खाया।
प्रश्न 4.
नरक पर निवास स्थान की समस्या हल हो गई।
उत्तर:
नरक में निवास स्थान की समस्या हल हो गई।
प्रश्न 5.
भोलाराम का पत्नी बाहर आयी।
उत्तर:
भोलाराम की पत्नी बाहर आयी।
प्रश्न 6.
लगाव तो महाराज, बाल-बच्चों से ही होती है।
उत्तर:
लगाव तो महाराज, बाल-बच्चों से ही होता है।
प्रश्न 7.
भोलाराम के केस का फ़ाइल लाओ।
उत्तर:
भोलाराम के केस की फाइल लाओ।
VI. अन्य लिंग रूप लिखिए :
माता, मालिक, बेटी, साधु।
- माता – पिता
- मालिक – मालकिन
- बेटी – बेटा
- साधु – साध्वी
VII. अन्य वचन रूप लिखिए :
दूत, यात्रा, समस्या, गहना, बात।
- दूत – दूत
- यात्रा – यात्राएँ
- समस्या – समस्याएँ
- गहना – गहने
- बात – बातें
VIII. विलोम शब्द लिखिए :
प्रसन्नता, मृत्यु, पाप, जल्दी, स्वर्ग, क्रोध।
- प्रसन्नता × अप्रसन्नता
- मृत्यु × जन्म
- पाप × पुण्य
- जल्दी × धीरे
- स्वर्ग × नरक
- क्रोध × शांत
भोलाराम का जीव लेखक परिचय :
हरिशंकर परसाई जी हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ हास्य व्यंग्य लेखक हैं। आपका जन्म मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के जमानी नामक गाँव में 22 अगस्त 1924 ई. को हुआ था। आपका समस्त साहित्य सामाजिक, राजनीतिक एवं आम आदमी के जीवन की विडम्बनाओं एवं विरोधाभास का प्रतिबिम्ब है। आपकी भाषा बोलचाल की भाषा है और उसमें हास्य व्यंग्य का पुट है। 20 अगस्त 1995 ई. को आपका स्वर्गवास हुआ।
प्रमुख रचनाएँ :
व्यंग्य : ‘बेईमानी की परत’, ‘भूत के पाँव पीछे’, ‘सदाचार का तावीज़’, ‘तब की बात और थी’, ‘पगडंडियों का जमाना’ आदि।
उपन्यास : ‘रानी नागफनी की कहानी’, ‘तट की खोज’, ‘ज्वाला और जल’ आदि।
कहानी संग्रह : ‘हँसते हैं रोते हैं’, ‘जैसे उनके दिन फिरे’ आदि।
भोलाराम का जीव Summary in Hindi
प्रस्तुत कहानी हरिशंकर परसाई की व्यंग्य कहानी है। इसमें भोलाराम नामक व्यक्ति के लगातार पाँच वर्षों तक पेंशन हेतु संघर्ष करने का मार्मिक चित्रण है। प्रत्येक क्षेत्र में भ्रष्टाचार किस प्रकार पनप रहा है, इसका व्यंग्य शैली में वर्णन किया गया है।
भोलाराम जबलपुर के घमापुर मुहल्ले का निवासी है। उम्र लगभग साठ वर्ष है। उसकी एक पत्नी, दो लड़के और एक लड़की है। सरकारी नौकर था। पाँच साल पहले रिटायर हो गया था। मकान का किराया बाकी था। मकान मालिक घर से निकालनेवाला था, इतने में भोलाराम चल बसा। पेंशन नहीं मिल रही थी। सरकारी कर्मचारी और भ्रष्टाचारी अधिकारियों के कारण यह सब हुआ था। व्यंग्य शैली में बताया गया है कि भोलाराम का जीव सरकारी पेंशन फाइलों में अटका हुआ है।
कहानी के मध्य में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में किस प्रकार से रिश्वतखोरी बढ़ती जा रही है, इसका सजीव चित्रण किया गया है। सरकारी धन कैसे भ्रष्ट अधिकारी हड़प जाते हैं और गरीबकमजोर व्यक्ति इसका शिकार होते है इसका वर्णन है।
अन्त में जब भोलाराम के पेंशन का कार्य नारद खुद संभालते है और जाँच करने निकलते हैं तो भोलाराम की पत्नी ने नारद से कहा – “क्या बताऊँ? गरीबी की बीमारी थी। पाँच साल से पेंशन नहीं मिली। कहीं कोई सुनता ही नहीं। घर में खाने के फाके पड़ने लगे। इन्हीं चिन्ताओं में एक दिन उन्होंने दम तोड़ दिया। ….. आप सिद्ध पुरुष हैं। यदि पेंशन दिलवा दो तो बच्चों का गुजारा हो जाय।”
जाँच करने नारद जब कार्यालय गए और बड़े साहब से मिले, तो उन्होंने कहा – “आप हैं बैरागी। दफ्तरों के रीति-रिवाज़ नहीं जानते। यहाँ भी कुछ दान-पुण्य करना पड़ता है। कुछ वजन रखिए।” वजन के रूप में नारद की वीणा ही रखवा दी। तब कहीं फाइल देखी जाने लगी।
बड़े साहब ने नाम पूछा, तो नारद ने ऊँची आवाज में कहा – ‘भोलाराम’। सहसा फाइल से आवाज आई – “कौन पुकार रहा है मुझे? पोस्टमैन है क्या? पेंशन का आर्डर आ गया?’ नारद ने कहा – “क्या तुम भोलाराम के जीव हो?” फाइल से आवाज़ आई – ‘हाँ।’
भोलाराम का जीव Summary in Kannada
भोलाराम का जीव Summary in English
This is a sarcastic story written by Harishankar Parsai.
Bholaram is a resident of the Ghamapur locality in Jabalpur. He is around 60 years old. He has a wife, two sons, and a daughter. He was a government servant. He had retired five years before. The rent of their house was due for a year. The owner of the house was about to throw Bholaram’s family out. Just as this was about to happen, Bholaram died. He had not been getting his pension. All this had happened due to government employees and managers. In a sarcastic twist, it is later made known that Bholaram’s life was stuck in his pension papers.
As Bholaram’s soul did not reach the heavens after his death, the lord of death, Yamaraj, sends Narada to retrieve Bholaram’s soul. When Narada himself arrives on earth to investigate the situation, Bholaram’s wife tells him that they were living in very poor circumstances. They didn’t have enough food to eat. Bholaram’s wife tells Narada that worrying about all these things killed Bholaram. She tells Narada that he is a good man and that the children would be provided for if he could somehow help Bholaram’s family get the pension.
When further investigation took Narada to the Pension office, he met the chief officer. The officer calls Narada a recluse and tells him that he must learn the ways of the office. The officer tells him that one must donate something to get work done. He asks Narada to place some weight on Bholaram’s file. As Narada carries nothing other than his Veena, the officer asks him to place the Veena itself on the table. Finally, Bholaram’s pension file is looked into.
When the officer asked Narada the name of the deceased, Narada replied that it was ‘Bholaram’, in a rather loud voice. Immediately, a voice came from the file. The voice asked who was calling, whether it was the postman, and if the pension had arrived. Narada asked the voice if it was Bholaram. It replied that it was.
कठिन शब्दार्थ :
- बदहवास – विकल, परेशान;
- चकमा – धोखा;
- इन्द्रजाल – जादू;
- चंगुल – पकड़, अधिकार;
- फ़ाके – भूखे मरने की स्थिति;
- उचक्का – चीज़ उठाकर भाग जाने वाला;
- वज़न – रिश्वत;
- दरख्वास्त – प्रार्थना पत्र;
- कुटिल – टेढ़ा, छली, दुष्ट