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Karnataka 1st PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Vaibhav Chapter 5 बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर
बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर Questions and Answers, Notes, Summary
I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
डॉ. बी.आर. अंबेडकर का जन्म कब हुआ?
उत्तरः
डॉ. बी.आर. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 ई. में हुआ।
प्रश्न 2.
अंबेडकर की माता का नाम क्या था?
उत्तरः
अंबेडकर की माता का नाम भीमाबाई था।
प्रश्न 3.
रामजी सूबेदार किस गाँव में सैनिक थे?
उत्तरः
रामजी सुबेदार महूँ गाँव में सैनिक थे।
प्रश्न 4.
भीमराव ने मैट्रिक परीक्षा कब पास की?
उत्तरः
भीमराव ने मैट्रिक परीक्षा सन् 1907 में पास की।
प्रश्न 5.
कृष्णजी अर्जुन केलुस्कर ने कौन-सी पुस्तक भीमराव को भेंट दी?
उत्तरः
कृष्णजी अर्जुन केलुस्कर ने अपनी “बुद्ध जीवनी’ नामक पुस्तक भीमराव को भेंट की।
प्रश्न 6.
भीमराव का विवाह किसके साथ हुआ?
उत्तरः
भीमराव का विवाह रमाबाई के साथ हुआ।
प्रश्न 7.
महाराजा की ओर से भीमराव को मासिक छात्रवृत्ति कितनी मिलती थी?
उत्तरः
महाराजा की ओर से भीमराव को मासिक छात्रवृत्ति 25 रु. मिलते थे।
प्रश्न 8.
अंबेडकर जी ने बी.ए. की परीक्षा कब पास की?
उत्तरः
अंबेडकर जी ने बी.ए. की परीक्षा सन् 1912 ई. में पास की।
प्रश्न 9.
भीमराव जी 1913 में अमेरिका के किस विश्वविद्यालय में दाखिल हो गए?
उत्तरः
भीमराव जी 1913 में अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में दाखिल हो गए।
प्रश्न 10.
डॉ. अंबेडकर ने किस समाज को जागरूक करना आरंभ किया?
उत्तरः
डॉ. अंबेडकर ने वंचित एवं पीड़ित समाज को जागरूक करना आरंभ किया।
प्रश्न 11.
‘मूक नायक’ पत्रिका के संपादक कौन थे?
उत्तरः
‘मूक नायक’ पत्रिका के संपादक डॉ. भीमराव अंबेडकर थे।
प्रश्न 12.
डॉ. अंबेडकर पत्नी और बच्चों से भी अधिक किसे मानते थे?
उत्तरः
डॉ. अंबेडकर पत्नी और बच्चों से भी अधिक पुस्तकों को मानते थे।
अतिरिक्त प्रश्नः
प्रश्न 13.
डॉ. भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम क्या था?
उत्तरः
डॉ. भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम रामजी सूबेदार था।
प्रश्न 14.
परिवार वाले अंबेडकर को क्या कहकर पुकारते थे?
उत्तरः
परिवार वाले अंबेडकर को भीवा कहकर पुकारते थे।
प्रश्न 15.
‘बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर’ पाठ के लेखक कौन है?
उत्तरः
‘बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर’ पाठ के लेखक शान्ति स्वरूप बौद्ध हैं।
प्रश्न 16.
डॉ. अंबेडकर को (मरणोपरान्त) भारत सरकार का कौन-सा सर्वोच्च पुरस्कार मिला?
उत्तरः
डॉ. अंबेडकर को (मरणोपरान्त) भारत सरकार का सर्वोच्च पुरस्कार ‘भारत रत्न’ मिला।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
अंबेडकर जी के बाल्य जीवन का परिचय दीजिए।
उत्तरः
बचपन में डॉ. अम्बेडकर को भीमराव नाम रखा गया। घरवाले प्यार से ‘भीवा’ कहकर पुकारते थे। बचपन में उन्हें छुआछूत के भेदभाव को सहन करना पड़ा। स्कूल में प्रवेश भी मुश्किल से मिला। उन्हें कक्षा के भीतर अन्य विद्यार्थियों के साथ बैठने की अनुमति नहीं थी। बैठने के लिए घर से बिछौना ले जाना पड़ता था। प्यास बुझाने के लिए स्कूल में पीने का पानी तक उन्हें नहीं मिल पाता था।
प्रश्न 2.
अंबेडकर जी को शिक्षा प्राप्त करते समय किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ा?
उत्तरः
डॉ. अम्बेडकर को शिक्षा प्राप्त करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अपने बैठने का टाट अपने साथ घर से ही ले जाना पड़ता था। पाठशाला में उन्हें कक्षा के भीतर अन्य विद्यार्थियों के साथ बैठने की मनाही थी। वे अपनी कक्षा के बाहर सब छात्रों के जूतों के बीच दरवाजे के बाहर बैठते थे। भीमराव को पानी के घड़े को भी छूने की इजाजत नहीं थी। कारण यह था कि अछूतों के छू लेने से घड़े का जल भ्रष्ट हो जाता। चाहे कितनी भी प्यास लगे, बेशक प्यास के मारे प्राण ही क्यों न निकल जाएँ, मगर प्यासा अछूत घड़े से पानी लेकर नहीं पी सकता था। किसी चपरासी की कृपा हो गई, तो पानी मिल जाता, नहीं तो घर आकर ही पानी पीना पड़ता था। एक बार स्कूल में गुरु के प्रश्न का उत्तर लिखने के लिए वे ब्लैक-बोर्ड की ओर चले, त्यों ही कक्षा के सवर्ण छात्रों ने विरोध किया की ब्लैक-बोर्ड के नीचे रखा भोजन इसके छूने से भ्रष्ट हो जाएगा।
प्रश्न 3.
लंडन के गोलमेज सम्मेलन में अंबेडकर जी ने किन विषयों पर प्रकाश डाला?
उत्तरः
भारत की भावी शासन प्रणाली और संविधान के बारे में रूप-रेखा तय करने के लिए ब्रिटिश … सम्राट में एक गोलमेज सम्मेलन लंडन में आयोजित किया। इस सम्मेलन में डॉ. अम्बेडकर जी ने अपने प्रभावशाली भाषण में अछूतों के उद्धार के लिए, उनके सुधार के लिए निर्भयता से अपने विचार रखे। उन्होने सिंह गर्जना करते हुए कहा “जब हम अपनी वर्तमान स्थिति और ब्रिटिश शासन से पहले की स्थिति की तुलना करते हैं, तो हम पाते हैं कि हम उन्नति करने की बजाय व्यर्थ में अपना समय बर्बाद कर रहे हैं।’
प्रश्न 4.
पत्नी की मृत्यु का डॉ. अंबेडकर पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तरः
27 मई 1935 को अम्बेडकर जी की पत्नी रमाबाई का देहान्त हो गया। उन्होंने दुःखी होकर, भगवा वस्त्र पहनकर संन्यास लेने का निर्णय कर लिया। परन्तु परिवार के बड़ों तथा मित्रों के समझाने-बुझाने पर उन्होंने भगवा वस्त्र त्यागकर समाज-कल्याण के लिए संघर्ष करने का विचार किया। इस समय भगवा वस्त्र धारण करने के कारण लोगों ने उन्हें ‘बाबासाहेब’ कहना शुरू कर दिया।
अतिरिक्त प्रश्नः
प्रश्न 5.
अंबेडकर की विदेशी शिक्षा के बारे में लिखिए।
उत्तरः
भीमराव अंबेडकर ने 1913 में न्यूयार्क (अमेरिका) में जाकर कोलंबिया विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। यहाँ से उन्होंने 1915 में एम.ए. तथा 1916 में पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की। 1916 में ही वे डॉक्टरेट ऑफ साइन्स (डी.एस.सी.) की तैयारी के लिए लंडन पहुंचे। विभिन्न कारणों से उन्हें पुनः भारत आना पड़ा। अपनी अधूरी डिग्री को पूरा करने के लिए एक बार फिर वे 1920 में लंडन गए। यहाँ उन्होंने 1921 में ब्रिटिश भारत में साम्राज्य पूंजी का प्रादेशिक विकेन्द्रीकरण’ विषय पर शोधकार्य पूरा कर मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की। एम.ए., पीएच.डी., एम.एससी., डी.एससी. और बार-एट-लॉ बनकर वे बंबई आए।
प्रश्न 6.
पारसी सराय में अम्बेडकर का क्या अपमान हुआ?
उत्तरः
अंबेडकर ने बड़ौदा रियासत में सैन्य सचिव के पद पर कार्य प्रारंभ किया। उन्हें बड़ौदा में रहने के लिए घर नहीं मिला। तब वे नाम बदलकर एक पारसी धर्मशाला में रहने लगे। मगर पारसियों को उनकी जाति का पता चला तो उन्होंने भी डॉ. अम्बेडकर को अपमानित करके भगा दिया। डॉ. अंबेडकर इस अपमान को बरसों तक नहीं भूल पाए।
प्रश्न 7.
अंबेडकर ने पीडित समाज के उद्धार के लिए क्या-क्या किया?
उत्तरः
अंबेडकर ने पीड़ित समाज के कष्टों को अहिंसात्मक तरीकों से दूर करने का निर्णय किया। उन्होंने वंचित एवं पीड़ित समाज को जागरूक करना आरंभ किया। उन्होंने ‘मूकनायक’ नामक पत्र निकाला। उन्होंने महाड़ नामक स्थान पर तालाब से पानी लेने पर दलित समाज पर पाबंदी के खिलाफ ‘महाड़ सत्याग्रह’ किया। डॉ. अंबेडकर गोल मेज सम्मेलन में ‘पृथक निर्वाचन’ का। अधिकार दलितों के लिए प्राप्त करने में सफल रहे।
प्रश्न 8.
अंबेडकर को भारत के संविधान जनक माना जाता है। क्यों?
उत्तरः
डॉ. अंबेडकर को देश का संविधान बनाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गयी। मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में उन्होने भारत का संविधान लिखा। उन्होंने विश्व के लोकतंत्रों एवं संविधानों का अध्ययन कर भारतीय संविधान में श्रेष्ठतम प्रावधान किए। इसीलिए अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक माना जाता है।
III. ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:
प्रश्न 1.
“वर्षों का समय बीत जाने फ भी पारसी सराय में मेरे साथ हुए दुर्व्यवहार का स्मरण करते ही मेरी आँखों में आँसू छलक पड़ते हैं।”
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक शान्ति स्वरूप बौद्ध हैं।
संदर्भ : बड़ौदा महाराज की नोकरी करते हुए डॉ. अंबेडकर को अनेक अपमान सहने पड़े थे। उनमें से एक घटना पारसी सराय में रहते हुए अंबेडकर के साथ घटी थी।
स्पष्टीकरण : बड़ौदा रियासत की नौकरी करते हुए अंबेडकर को बड़ौदा में रहने के लिए घर की जरूरत थी। मगर छूतछात की दूषित भावना के कारण अंबेडकर को कोई घर नहीं मिला। वे नाम बदलकर पारसी सराय में रहने लगे। मगर पारसियों को जब उनकी जाति का पता चला, तो उन्होंने डॉ. अंबेडकर को अपमानित करके खदेड़ दिया। अंबेडकर इस घटना को जीवन भर भूले नहीं। वे लिखते हैं – ‘वर्षों का समय बीत जाने पर भी पारसी सराय में मेरे साथ हुए दुर्व्यवहार का स्मरण करते ही मेरी आँखों में आँसू छलक पड़ते हैं।’
प्रश्न 2.
“भीमराव इस प्रकार के असंख्य अपमान के खून के चूट चुपचाप पी जाते।
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक शान्ति स्वरूप बौद्ध हैं।
संदर्भ : बालक भीमराव को स्कूल में पढ़ते हुए भी कई बार अपमान का सामना करना पड़ा। लेखक उन घटनाओं को बता रहे हैं।
स्पष्टीकरण : भीमराव सब प्रकार के अत्याचार, अनाचार और भेदभाव सहन करके भी शिक्षा प्राप्त करते रहे। वे घड़े से पानी नहीं पी सकते थे। पाठशाला में उन्हें दरवाजे के बाहर जूतों के पास बैठना होता था। एक बार अध्यापक ने एक प्रश्न पूछा। भीमराव उस प्रश्न का उत्तर लिखने के लिए ज्यों ही ब्लैक बोर्ड की तरफ चले, त्यों ही कक्षा के सवर्ण छात्रों ने शोर मचाकर कहा – रोको इस अछूत को। यह हमारे भोजन को छूकर भ्रष्ट कर देगा। भीमराव इस प्रकार के असंख्य अपमान के खून के चूट चुपचाप पी जाते।
प्रश्न 3.
“हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, फिर भी मैं भीमराव को उच्च शिक्षा दिलाने का भरसक प्रयास करूँगा
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक शान्ति स्वरूप बौद्ध हैं।
संदर्भ : भीमराव ने जब मैट्रिक की परीक्षा पास की तो उनके पिता ने उन्हें उच्च शिक्षा दिलाने के लिए यह घोषणा की।
स्पष्टीकरण : डॉ. अंबेडकर ने तमाम विपरीत परिस्थितियों में अपनी स्कूली एवं हाईस्कूल शिक्षा प्राप्त कर ली थी। 1907 में भीमराव ने मैट्रिक की परीक्षा पास की। इस अवसर पर भीमराव के सम्मान में एक सभा का आयोजन किया गया। इसी समय उनके पिता रामजी सूबेदार ने घोषणा की कि ‘हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, फिर भी मैं भीमराव को उच्च शिक्षा दिलाने का भरसक प्रयास करूंगा।’
प्रश्न 4.
“मगर धन्य है डॉ. अम्बेडकर। उन्होंने तलवार या बंदूक का नहीं, अहिंसात्मक तरीके से अपने समाज के कष्टों को दूर करने का निर्णय लिया।”
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक शान्ति स्वरूप बौद्ध हैं।
संदर्भ : डॉ. अंबेडकर को जीवन में पग पग अपमान के खून के चूंट पीने पड़े लेकिन उन्होंने इसका प्रतिरोध अहिंसात्मक तरीके से किया।
स्पष्टीकरण : लेखक अंबेडकर के जीवन पर रोशनी डालते हुए कहते हैं कि भीमराव को स्कूल में पढ़ाई से लेकर नौकरी तक अछूत होने का दंश झेलना पड़ा। उन्हें पारसी सराय से अपमानित कर बाहर किया गया। यहाँ तक कि सिडनेहम कॉलेज, मुंबई में भी जातिवादी लोगों ने उन्हें प्रताड़ित किया। अंबेडकर इन अत्याचारों से पीड़ित हो कई बार बंदूक उठाने के बारे में सोचते थे। मगर धन्य है डॉ. अंबेडकर उन्होंने तलवार या बंदूक का नहीं अहिंसात्मक तरीके से अपने समाज की पीड़ा दूर करने का बीड़ा उठाया।
IV. कोष्ठक में दिए गए कारक चिन्हों से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए:
(के, का, में, के लिए, से)
प्रश्न 1.
जन्म के समय डॉ. अंबेडकर ………….. नाम भीमराव रखा गया था।
उत्तरः
का
प्रश्न 2.
उस समय एक अछूत ………. यह बहुत अनोखी बात थी।
उत्तरः
के लिए
प्रश्न 3.
इसी बीच उन्हें बड़ौदा …………. दीवान ने एक पत्र लिखा।
उत्तरः
के
प्रश्न 4.
आँखों ………….. आँसू छलक पड़ते हैं।
उत्तरः
में
प्रश्न 5.
उसके हाथ ………….. बड़ी किताब है।
उत्तरः
में।
V. अन्य लिंग रूप लिखिए:
प्रश्न 1.
पंडित, सूबेदार, पिता, नायक, गाय, नारी।
उत्तरः
पंडित – पंडिताइन
सूबेदार – सूबेदारनी
पिता – माता
नायक – नायिका
गाय – बैल
नारी – नर
VI. निम्नलिखित अनुच्छेद पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिएः
१७ वर्ष की आयु में भीमराव का विद्यार्थी जीवन में ही ९ वर्ष की रमाबाई के साथ विवाह हो गया। अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए भीमराव बंबई के एलफिंस्टन कालेज में दाखिल हो गए। उस समय एक अछूत के लिए यह बहुत अनोखी बात थी। मगर रामजी सूबेदार भीमराव को और पढ़ाने में कठिनाई महसूस करने लगे, तो केलुस्कर गुरुजी भीमराव को बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड जी के पास ले गए। भीमराव ने अपनी विद्वत्ता एवं बुद्धिमत्ता से महाराजा का दिल जीत लिया। महाराजा ने भीमराव की उच्च शिक्षा के लिए रु. २५/- मासिक छात्रवृत्ति स्वीकृत कर दी। समाज की क्रूर जाति-व्यवस्था उन्हें पग-पग पर पीड़ा पहुँचाती रही। वे संस्कृत पढ़ना चाहते थे, मगर अछूत होने के कारण उन्हें संस्कृत भाषा नहीं पढ़ने दी गई। दृढ़ इच्छाशक्ति के धनी भीमराव ने १९१२ में अंग्रेजी और पारसी विषयों के साथ बंबई विश्वविद्यालय से बी.ए. की परीक्षा पास की थी। वे बी.ए. की परीक्षा पास करने वाले पहले महार थे।
प्रश्न 1.
भीमराव का विवाह किसके साथ हुआ?
उत्तरः
भीमराव का विवाह रमाबाई के साथ हुआ।
प्रश्न 2.
भीमराव बंबई के किस कालेज में दाखिल हो गए?
उत्तरः
भीमराव बंबई के एलफिंस्टन कालेज में दाखिल हो गए।
प्रश्न 3.
केलुस्कर गुरुजी भीमराव को किस महाराजा के पास ले गये?
उत्तरः
केलुस्कर गुरुजी भीमराव को बडौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ के पास ले गए।
प्रश्न 4.
महाराजा ने भीमराव की उच्च शिक्षा के लिए कितने रुपयों की छात्रवृत्ति स्वीकृत कर दी?
उत्तरः
महाराजा ने भीमराव की उच्च शिक्षा के लिए रु. 25 मासिक छात्रवृत्ति स्वीकृत कर दी।
प्रश्न 5.
भीमराव जी ने बी.ए. की परीक्षा किस वर्ष पास की?
उत्तरः
भीमराव जी ने बी.ए. की परीक्षा 1912 में पास की।
बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर लेखक का परिचयः
शांति स्वरूप बौद्ध जी का जन्म 2 अक्तूबर 1949 में फराशखाना, पुरानी दिल्ली में हुआ। आपकी माता भुरियादेवी तथा पिता परिनिब्बुत्त लाल हरिचंद मौर्य थे। आप जन्मजात प्रतिभाशाली थे तथा बौद्ध धर्म के पक्के अनुयायी थे। प्रमुख नगरों में बौद्ध धर्म का प्रचार किया। कई सालों तक सरकारी नौकरी की। बाद में सरकारी नौकरी छोड़कर समाज सेवा करने लगे। आपके साहित्यिक तथा सामाजिक सेवाओं के लिए कई पुरस्कार मिले।
प्रमुख रचनाएँ : ‘महाबोधि राहुल सांकृत्यायन’, ‘बोधगया’, ‘सारनाथ’, ‘भीम जीवनी’, ‘अशोक’, ‘भगवान बुद्ध’, ‘महात्मा ज्योतिराव फूले’ इत्यादि।
उद्देश्य : प्रस्तुत जीवनी डॉ. भीमराव अंबेडकर के संघर्षपूर्ण जीवन का सजीव एवं मार्मिक चित्रण है। उन्होंने जीवन की कठिन परिस्थितियों से जूझते हुए अपनी शिक्षा पूरी की तथा दलित समाज को जागरूक करना एवं उनके अधिकारों के प्रति सचेत करना ही उनके जीवन का मूल ध्येय रहा।
अंबेडकर के मूल मंत्र – ‘शिक्षा, संगठन एवं संघर्ष’ से विद्यार्थियों को भलीभांति परिचित कराने के उद्देश्य से इस जीवनी को संकलित किया गया है।
बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर Summary in Hindi
डॉ. बी.आर. अंबेडकर भारत के महान व्यक्तियों में एक हैं। दलित होने के नाते कई मुसीबतों को झेलकर, संघर्ष-पथ पर आगे बढ़ते गए। वे बहुत. बड़े मेधावी, संगठनकर्ता, भाषणकार और दलितों के मसीहा थे। उनका जन्म महाराष्ट्र के महार नामक अछूत परिवार में 14 अप्रैल 1891 को हुआ। उनकी माता का नाम भीमाबाई और पिता का नाम रामजी था। रामजी ब्रिटिश सेना में सूबेदार थे। वे अपने बेटे को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते थे।
भीमराव अम्बेडकर की शिक्षा-दीक्षा बड़ी कठिनाइयों के बीच संपन्न हुई। सहपाठी अम्बेडकर का हररोज अपमान किया करते थे। अध्यापक भी उन्हें अछूत मानकर दूर रखते थे। वे पढ़ने में तेज थे। उन्होंने सन् 1907 में मेट्रिक्युलेशन की परीक्षा पास की। फिर वे बम्बई के एलफिंस्टन कॉलेज में दाखिल हुए। बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड ने उन्हें 25 रुपये की मासिक छात्रवृत्ति दी। उन्होंने सन् 1912 में बी.ए. की परीक्षा पास की।
सन 1913 में अम्बेडकर उच्च शिक्षा पाने के लिए अमेरिका गए। वहाँ के कोलम्बिया विश्वविद्यालय से उन्होंने 1915 में एम.ए. तथा 1916 में पीएच.डी. की डिग्रियाँ हासिल की। फिर वे 1916 में उच्च शिक्षा पाने इंग्लैंड गए। उन्होंने बड़ौदा राजा को लिखित रूप में वादा किया था कि वे पढ़ाई खत्म करने के बाद बडौदा सरकार में काम करेंगे। पढ़ाई बीच में छोड़कर वे बडौदा लौट आये। वहाँ भी उन्हें बार-बार अपमानित होना पड़ा। फिर वे बम्बई के सिडनेहम कॉलेज में प्रोफेसर बन गए। वे पैसे बचत करके अपनी अधूरी उच्च शिक्षा पूरी करने 1920 में दुबारा लंडन गए। वहाँ से एम.एस.सी. तथा बार-एट-लॉ की पदवियाँ पाकर सन् 1923 में भारत लौटे।
डॉ. अम्बेड़कर अस्पृश्यों की उन्नति के बारे में सदा सोचा करते थे। उन्होंने 1924 में समता सैनिक दल की स्थापना की। वे मुम्बई विधान परिषद के सदस्य भी बने। उन्होंने इस पद पर काम करते हुए अस्पृश्यों के उद्धार के लिए कई अच्छे काम किए। उन्होंने ‘मूक नायक’ नामक पत्रिका प्रारंभ की। इसमें अछूतों की समस्याएँ चर्चित की जाती थीं। इतना ही नहीं, अम्बेडकर जी ने अपने प्रभावशाली भाषणों द्वारा दलितों में चेतना जगाने का भरसक प्रयास किया।
भारत की भावी शासन-प्रणाली व संविधान के बारे में रूप-रेखा तय करने के लिए ब्रिटिश सम्राट द्वारा लंडन में आयोजित गोलमेज अधिवेशन में डॉ. अम्बेडकर ने सदस्य के रूप में भाग लेकर दलितों के अधिकारों के लिए अपने विचारों को प्रकट किया। सन् 1932 में पुणे में संपन्न पुणे पैक्ट के द्वारा नौकरियों में और शिक्षा के क्षेत्र के लिए चुनाओं में आरक्षण की व्यवस्था की। डॉ. अम्बेडकर के लगातार प्रयत्नों के कारण दलित वर्ग अपना सिर उठाकर चलने लगा।
भारत स्वतंत्र हुआ। डॉ. अम्बेडकर ने भारतीय संविधान की रचना करके ऐतिहासिक गौरव प्राप्त किया। वे ‘भारतीय संविधान के जनक’ कहलाए। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री बने। दलित सूर्य डॉ. अम्बेडकर ने सन 1956, अक्तूबर 14 को नागपुर में अपने पाँच लाख अनुयायियों को लेकर बौद्ध धर्म की दीक्षा स्वीकार की। दलित सूर्य डॉ. अम्बेडकर 6 दिसम्बर 1956 को चल बसे। डॉ. बी.आर. अम्बेडकर को भारत सरकार ने मरणोपरान्त ‘भारत रत्न’ सम्मान से अलंकृत किया।
बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर Summary in Kannada
बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर Summary in English
‘Babasaheb Dr. Ambedkar’, written by Shanti Swarup Boudh, is a biography of Dr. B. R. Ambedkar.
Dr. B. R. Ambedkar is one of the great personalities of India. Since he belonged to the Dalit community, he had to face many hardships and challenges. He was a very wise man, a team worker, a great orator and a messiah for the Dalit community. He was born into an untouchable Mahar (caste) family on 14 April 1891. His mother was Bhimabai and his father was Ramji. Ramji was a Subedar in the British Army. He wanted to give his son a good education.
Bhimrao Ambedkar completed his education amidst great difficulties and challenges. His classmates would insult him every day. Even his teachers considered him an untouchable and always kept him at a distance. He was a bright student. In 1907, he passed the matriculation examination. He enrolled at Elphinstone College in Bombay. The Maharaja of Baroda, Sayyajirao Gaekwad gave him a monthly stipend of 25 rupees. In 1912, he passed the B.A. examination.
In 1913, Ambedkar went to the United States of America for further education. He obtained his M.A. in 1915 and a PhD. in 1916 from Columbia University. Later, in 1916, he moved to England for further studies. He had made a written promise to the Maharaja of Baroda, that after he finished his education, he would work for the government of Baroda. Leaving his studies midway, he returned to Baroda, from England. Even when he returned, he had to bear insults time and again. Then he became a professor in Sydenham College in Bombay. He saved money and in 1920 he returned to England to finish his studies, which he had left midway. He obtained his M.Sc. and Barrister-at-law degrees and then returned to India – in 1923.
Dr. Ambedkar always worried about the development of the untouchable community. In 1924, he established the Samata Sainik Dal. He also became a member of the Bombay Science Society. While at this post, he worked towards the upliftment of untouchables. He started a journal called ‘Mook Nayak’. In this, the problems facing the untouchable community were discussed. Besides this, Ambedkar endeavoured to kindle hope in the Dalit community through his powerful speeches and oration.
He was invited as a member of the Round Table Conference, which was organized by the British in London, to decide upon the future government and the Constitution of India. At the conference, Ambedkar spoke on behalf of the Dalits, demanding basic rights for the community. In 1932, through the ‘Pune Pact, he obtained special reservations in jobs and posts in educational institutions for the Dalits. Due to the untiring and constant efforts of Dr. Ambedkar, the people of the Dalit community began to live with their heads held high.
After India became independent, Dr. Ambedkar gained worldwide fame by compiling the Indian Constitution. He is known as the ‘Father of the Indian Constitution’. He also became the first law minister of independent India.
On 14th of October, 1956, Dr. Ambedkar along with five lakh followers, converted to Buddhism in the city of Nagpur. On the 6th of December, 1956, Dr. Ambedkar passed away. After his death, the government of India honoured him with the highest civilian award, the ‘Bharat Ratna’.
कठिन शब्दार्थः
- ललक – बलवती इच्छा, ಪ್ರಬಲವಾದ ಇಚ್ಚಿ ;
- मसौदा – ಕರಡು, draft;
- निर्दयता – निष्ठुरता;
- पराकाष्ठा – चरमसीमा;
- दमन – दबाने की क्रिया, ತುಳಿತ;
- छूतछात – छुआछूत, अस्पृश्यता।