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Karnataka 1st PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Vaibhav Chapter 22 मत घबराना

मत घबराना Questions and Answers, Notes, Summary

I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:

प्रश्न 1.
कवि किस प्रकार आगे बढ़ने के लिए कहते हैं?
उत्तर:
कवि कदम साधकर आगे बढ़ने के लिए कहते हैं।

प्रश्न 2.
कवि किसके साथ होने की बात कहते हैं?
उत्तर:
कवि कहते हैं कि कोई साथ रहे या न रहे, परन्तु चन्दा और तारे साथ रहेंगे।

प्रश्न 3.
कवि किसे अपनी व्यथा सुनाने के लिए कहते हैं?
उत्तर:
कवि अपनी सारी व्यथा चन्दा-तारे को सच्चा साथी जानकर सुनाने के लिए कहते हैं।

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प्रश्न 4.
पथ पर बार-बार क्या टकराती है?
उत्तर:
पथ पर बार-बार बाधाएँ टकराती हैं।

प्रश्न 5.
कवि बीच राह में कैसे न रुकने को कहते हैं?
उत्तर:
कवि डरकर या ललचाकर बीच राह में न रुकने को कहते हैं।

प्रश्न 6.
वीर काँटों को क्या समझता है?
उत्तर:
वीर काँटों को भी फूल समझता है।

प्रश्न 7.
वीर किससे हाथ मिलाता है?
उत्तर:
वीर विपदाओं से हाथ मिलाता है।

अतिरिक्त प्रश्नः

प्रश्न 8.
वीराने में क्या बहती रहती हैं?
उत्तर:
वीराने में नदियाँ बहती रहती हैं।

प्रश्न 9.
कवि जीवन-पथ पर क्या बढ़ाने के लिए कहते हैं?
उत्तर:
कवि जीवन-पथ पर कदम बढ़ाने के लिए कहते हैं।

प्रश्न 10.
रास्ता कौन रोक लेती हैं?
उत्तर:
रास्ता तितलियाँ रोक लेती हैं।

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प्रश्न 11.
धीर-वीरता से जो बढ़ता है उसे क्या मिलता है?
उत्तर:
धीर-वीरता से जो बढ़ता है उसे मंजिल मिलती है।

प्रश्न 12.
कवि ने किसे कायर कहा है?
उत्तर:
कवि ने घबराने वालों को कायर कहा है।

प्रश्न 13.
वीर कभी क्या नहीं करते?
उत्तर:
वीर कभी बहाना नहीं करते।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिएः

प्रश्न 1.
‘मत घबराना’ कविता में प्रकृति को प्रेरणास्त्रोत क्यों कहा गया है?
उत्तर:
हमारे साथ कोई रहे या न रहे, परन्तु ये चन्दा और तारे हमेशा साथ रहते हैं। ये हमारा दर्द बाँट लेंगे, अपनी बात कहेंगे। ये नदियाँ और झरने हरदम हँसते-गाते आगे बढ़ने को कहेंगे। इस प्रकार कवि प्रकृति को प्रेरणा का स्रोत मानता है। प्रकृति हमारा साथ देती है और आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देती है।

प्रश्न 2.
कवि ने जीवन की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर:
कवि कहता हैं कि जीवन में कई बाधाएँ आती हैं और वे हमें रोकती हैं। तितलियाँ भी अपने सुन्दर रंग-बिरंगे पंखों से हमें अपनी ओर आकर्षित करती हैं, रोकने की कोशिश करती है। ऐसी स्थिति में बाधाओं से न डरकर और तितलियों से न ललचाकर हमें बीच राह में नहीं रुकना चाहिए। हमें नदियों की तरह अकेले ही निडर होकर बहते रहना चाहिए। यही जीवन की विशेषताएँ हैं।

प्रश्न 3.
मंजिल किन्हें मिलती है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘मत घबराना’ कविता में कवि नवयुवकों को जीवनपथ पर हमेशा आगे बड़ने का संदेश देते हैं। प्रकृति को प्रेरणा के रूप में चित्रित करते हुए कवि ने कहा है ‘मंजिल’ उन्हीं को मिलती है जो बाधाओं को चुनौती देकर धीर वीर के समान आगे बड़ते हैं। जो काँटों को फूल समझकर विपदाओं को स्वीकार करते हैं, जो कायर नहीं है, जो बहाने बनाकर निष्क्रीय नहीं होते वही ‘मंजिल’ को हासिल कर लेते हैं।

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प्रश्न 4.
‘मत घबराना’ कविता का संदेश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘मत घबराना’ कविता में कवि युवकों को सन्देश देते हैं कि जीवन के पथ पर सदा आगे बढ़ते रहना चाहिए। साथ कोई हो या न हो प्रकृति माता सदा हमारे साथ रहेगी। प्रकृति से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। यही इस कविता का सन्देश है।

अतिरिक्त प्रश्नः

प्रश्न 5.
कवि ‘मानव’ ने नवयुवकों को किन बातों से न घबराने की सलाह दी है?
उत्तर:
कवि ‘मानव’ युवाओं को बाधाओं से नहीं घबराने की सलाह दे रहे हैं। वे कहते हैं- रास्तें में बाधाएँ तुमसे बार-बार टकराएगी लेकिन तुम डरकर बीच रास्ते ही मत रुक जाना। तुम्हें तो बस जीवन पथ पर अपने कदम बढ़ाते जाना है।

III. ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:

प्रश्न 1.
कोई साथ न रहने पर भी
चन्दा-तारे साथ रहेंगे।
दर्द तुम्हारा बाँटेंगे वे,
तुमसे अपनी बात कहेंगे।
उत्तर:
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘मत घबराना’ नामक कविता से ली गई हैं, जिसके रचयिता डॉ. रामनिवास ‘मानव’ हैं।
संदर्भ : कवि नवयुवकों को संदेश देते हैं कि जीवन के पथ पर तुम सदा आगे बढ़ों। प्रकृति हमें प्रेरणा देती है।
स्पष्टीकरण : कवि कहते हैं कि बाधाओं से, प्रतिकूल परिस्थितियों से घबराना नहीं चाहिए। इनसे बिना डरे निरन्तर आगे बढ़ते रहना चाहिए, कोई साथ दे या न दे। आप मंजिल तय करते समय अकेले पड़ जाएँ तब घबराना नहीं। यह चाँद, यह तारे तुम्हारे साथ हर पल रहेंगे। यह कभी भी साथ नहीं छोड़ते। प्रकृति मनुष्य का कभी भी साथ नहीं छोड़ती। मनुष्य का प्रकृति के साथ रिश्ता अटूट है। तुम उनसे बात करना। अपना कष्ट सुनाना। वे बिना परेशान हुए तुम्हारी बात को गंभीरता से सुनेंगे। वे अपनी बात तुमसे कहेंगे। उन्हें अपना सच्चा मित्र समझकर आगे बढ़ते जाओ।
विशेष : खड़ी बोली हिन्दी का प्रयोग। प्रेरणास्पद कविता।

प्रश्न 2.
मंजिल सदा उसी को मिलती
धीर-वीर जो बढ़ता जाता।
काँटों को भी फूल समझता,
विपदाओं से हाथ मिलाता।
कायर तो घबराते वे ही,
वीर न करते कभी बहाना।
उत्तर:
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘मत घबराना’ नामक कविता से ली गई हैं जिसके रचयिता डॉ. रामनिवास ‘मानव’ हैं।
संदर्भ : कवि यहाँ नव युवकों को संदेश देते हुए कह रहे हैं कि तुम वीर हो, विपदाओं का सामना करते हुए मंजिल के पथ पर तुम आगे बढ़ते रहो। कवि ने इस कविता में प्रकृति को प्रेरणा के रूप में चित्रित किया है।
स्पष्टीकरण : कवि कहता है कि मंजिल सदा उसी को मिलती है, जो धीर-वीर बनकर आगे बढ़ता है। जो काँटों को फूल समझकर, विपत्तियों से हाथ मिलाकर आगे बढ़ता है और डरने का बहाना न बनाकर जो आगे बढ़ता है, वही जीवन में सफल होता है।

मत घबराना कवि परिचयः

बहुमुखी प्रतिभा के धनी रामनिवास ‘मानव’ जी का जन्म 2 जुलाई 1954 ई. को तिगरा जिला महेन्द्रगढ़ (हरियाणा) में हुआ। आपकी शिक्षा एम.ए. (हिन्दी), पीएच.डी. एवं डी.लिट्. तक हुई है। आपको स्नातक तथा स्नातकोत्तर कक्षाओं को पढ़ाने का तीन दशक से अधिक अनुभव है। आपको, अनेक प्रतिष्ठित सम्मान, पुरस्कार तथा मानद उपाधियों से सम्मानित किया गया है। आप संप्रति कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र में कार्यक्रम क्रियान्वयन केन्द्र में शोध निदेशक पद पर कार्य कर रहे हैं।
प्रमुख कृतियाँ : ‘धारा-पथ’, ‘रश्मी-रथ’, ‘साँझी है रोशनी’, ‘बोलो मेरे राम’, ‘सहमी सहमी आग, ‘हम सब हिन्दुस्तानी’ आदि|

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कविका का आशय :

कवि नवयुवकों को संदेश देते हैं कि जीवन-पथ पर सदा आगे बढ़ो। प्रकृति सदा हमारे साथ है| प्रकृति हमें प्रेरणा देती है|

मत घबराना Summary in Kannada

मत घबराना Summary in Kannada 1
मत घबराना Summary in Kannada 2

मत घबराना Summary in English

The poet, Dr Ramniwas ‘Manav’, through this poem gives the message to youngsters, that one must always move forward in life. Nature will always support us. Nature also gives us inspiration.

In the first stanza, the poet says that one must move forward in life without fearing the difficulties or obstructions. Whether there is anyone with us or not, we must always move forward. The moon and the stars will share our difficulties and our pain. Considering them as our true companions, we must move forward.

In the second stanza, the poet says that rivers and streams laugh and sing as they move along continuously. They have no companions. Similarly, we must also go ahead alone. You are your own companion. Considering the rivers and streams as our true companions, we must move forward.

In the third stanza, the poet says that our path is filled with obstacles and difficulties. Butterflies will stop and distract us, however, one must not be afraid and one must not get distracted and must continue to walk down the middle of the path without stopping.

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In the fourth stanza, the poet says that the destination is reached by only those who continue to move forward bravely and with determination, and by those who treat thorns as roses and cross over them, and by those who do not shake hands with adversity or misfortune. Cowards always feel scared and they make excuses saying that they are scared. The brave never make excuses. They only keep moving forward.

मत घबराना Summary in Hindi

1) बाधाओं से मत घबराना।
कदम साधकर बढ़ते जाना।
कोई साथ न रहने पर भी
चन्दा-तारे साथ रहेंगे।
दर्द तुम्हारा बाँटेंगे वे,
तुमसे अपनी बात कहेंगे।
सच्चा साथी जान उन्हें तुम
अपनी सारी व्यथा सुनाना।

कवि कहता है कि बाधाओं से बिना डरे आगे बढ़ते जाना चाहिए। साथ कोई हो न हो, आगे बढ़ते जाना चाहिए। चाँद-सितारे तुम्हारा दर्द बाँट लेंगे। उन्हें सच्चा साथी मानकर अपनी व्यथा सुनाएँ।

2) वीराने में नदियाँ-निर्झर,
जैसे हरदम हँसते-गाते।
आप अकेले अपने साथी,
सदा अकेले बढ़ते जाते।
सच्चा साथी जान उन्हें तुम
जीवन-पथ पर कदम बढ़ाना।

कवि कहते हैं- नदियाँ व झरने हँसते-गाते हुए बढ़ते है। उनका कोई साथी नहीं रहता। वैसे ही तुम भी अकेले जाना। तुम अपने साथी स्वयं ही हो। उनको अपना सच्चा साथी समझकर वैसे तुम भी आगे बढ़ो।

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3) पथ क्या वह बाधाएँ जिसमें
बार-बार टकराती ना हों।
और तितलियाँ रोक रास्ता
राही को ललचाती ना हों।
पर तुम डरकर या ललचाकर
बीच राह में मत रुक जाना।

कवि कहते हैं- पथ में कई बाधाएँ आती हैं। तितलियाँ रोककर तुम्हें ललचाएगी, परन्तु तुम न डरते हुए और न ललचाते हुए बीच राह में न रूकते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

4) मंजिल सदा उसी को मिलती
धीर-वीर जो बढ़ता जाता।
काँटों को भी फूल समझता,
विपदाओं से हाथ मिलाता।
कायर तो घबराते वे ही,
वीर न करते कभी बहाना।

कवि अन्त में कहते हैं कि मंजिल उन्हीं को मिलती है, जो धैर्य के साथ आगे बढ़ते हैं, जो काँटों को भी फूल समझकर पार करते हैं, जो विपत्तियों से हाथ मिलाते हैं। कायर तो घबराते हैं और वे डरने का बहाना बनाते हैं। वीर कभी बहाना नहीं बनाते। आगे बढ़ते रहते हैं।

कठिन शब्दार्थः

  • बाधाएँ – रुकावट, विघ्न;
  • कदम साधकर – कदम से कदम मिलाकर;
  • व्यथा – दुःख, दर्द;
  • ललचाना – लोभग्रस्त होना;
  • विपदा – विपत्ति;
  • कायर – डरपोक, बुजदिल;
  • चन्दा – चाँद;
  • वीराना – शून्य प्रदेश;
  • हरदम – हमेशा;
  • मंजिल – पड़ाव